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E-ISSN: 2582-8010     Impact Factor: 9.56

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गोडवाड़ क्षेत्र में मीणा समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास

Author(s) Ghanshyam lal dhaker
Country India
Abstract इस शोध-पत्र में मारवाड़-गोडवाड़ क्षेत्र में स्थित प्राचीन मीणा जनजाति के गौरवमयी इतिहास का वर्णन किया गया है। राजपूतों के आगमन से पहले, यह क्षेत्र मूल निवासियों के अधिकार क्षेत्र में था, जिनकी संस्कृति और परंपराएँ समृद्ध थीं, हालांकि उनका अधिकार क्षेत्र सीमित और स्थानीय था। इन मूल निवासियों की सामाजिक संरचना उतनी विकसित नहीं थी कि वे अपने इतिहास को लिखित रूप में प्रस्तुत कर पाते, जिससे उनका इतिहास मौखिक परंपरा पर आधारित था। जैसे वेदों का ज्ञान श्रुति पर आधारित था, वैसे ही मीणाओं का गौरवपूर्ण इतिहास भी पीढ़ी दर पीढ़ी एक-दूसरे को सुनाया जाता रहा। मीणाओं की वीरता और साहस का इतिहास समय के साथ दबाया नहीं जा सका और आधुनिक इतिहासकारों ने स्वाभाविक रूप से उनका उल्लेख करना शुरू किया। यही सत्य था, जो समय के साथ बाहर आकर सामने आया। काल के प्रवाह में मीणा जनजाति को शासक से लेकर, चोर-डाकू और फिर खेतिहर मजदूर तक के रूप में जीने को मजबूर किया गया, लेकिन उनका वीरता का गुण हमेशा उनके साथ बना रहा। यही वीरता मीणा जनजाति को प्राचीन काल में अपने छोटे-बड़े राज्य स्थापित करने में मदद करती थी।
राजपूतों के आगमन के साथ ही मीणाओं से उनकी सत्ता छीन ली गई, और उन्हें जंगलों में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया। यहां उन्होंने अपने ‘मेवासे’ स्थापित किए और संघर्ष के मार्ग को चुना, जो अंततः महाराणा प्रताप जैसे महान शासक के संघर्ष का आधार बना। उनका इतिहास चुनौतीपूर्ण रहा और वे हमेशा शासकों के लिए एक चुनौती बने रहे। अंग्रेजों की तोपों और बंदूकों ने उन्हें नियंत्रण में किया, लेकिन उनकी स्वतंत्रता की भावना को कभी भी पूर्ण रूप से दबाया नहीं जा सका। इसी वीरता के कारण, अंग्रेजों ने मीणाओं को सेना में भर्ती करने के लिए विशेष रूप से एरिनपुरा छावनी में भर्ती किया।
Keywords .
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 1, January 2025
Published On 2025-01-27
Cite This गोडवाड़ क्षेत्र में मीणा समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास - Ghanshyam lal dhaker - IJLRP Volume 6, Issue 1, January 2025.

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