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E-ISSN: 2582-8010     Impact Factor: 9.56

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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियां और भारत-जापान सहयोगः एक भौगोलिक विश्लेषण

Author(s) जलेसिंह यादव
Country India
Abstract हिंद-प्रशांत क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक उभरती हुई भू-सामरिक और भू-राजनीतिक अवधारणा है, जिसमें पूर्वी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के तटीय इलाकों से लेकर पूर्वी एशिया तक के क्षेत्र शामिल हैं। हाल के वर्षों में यह क्षेत्र “एशिया-प्रशांत“ के स्थान पर भू-सामरिक चर्चाओं में एक प्रमुख शब्द के रूप में स्थापित हुआ है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र न केवल महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों का स्रोत है, बल्कि सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आधुनिक समय में वैश्विक आर्थिक शक्ति का स्थानांतरण पश्चिम से एशिया की ओर हो चुका है, जिससे इस क्षेत्र में स्थापित और उभरती हुई शक्तियों के बीच सहयोग और संघर्ष की स्थिति पैदा हो रही है। यह क्षेत्र विश्व के प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों का केंद्र है। चीन, “मलक्का दुविधा“ के कारण अपने समुद्री प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए वह “सिं्ट्रग ऑफ पर्ल्स“ और “मेरीटाइम सिल्क रूट“ जैसी नीतियों का सहारा ले रहा है, जिससे हिंद महासागर से लेकर मध्य-पूर्व, अफ्रीका और यूरोप तक उसकी शक्ति का विस्तार हो रहा है।
इन गतिविधियों के कारण भारत और जापान जैसे देशों के लिए सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं। परिणामस्वरूप, भारत और जापान क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं। दोनों देशों ने 2014 में “विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी“ समझौता किया, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
Keywords भू-सामरिक, समुद्री संचरण मार्ग प्रतिसंतुलन, नागरिक परमाणु समझौता, सुरक्षा संवाद, भारत, जापान।
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 1, January 2025
Published On 2025-01-27
Cite This हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियां और भारत-जापान सहयोगः एक भौगोलिक विश्लेषण - जलेसिंह यादव - IJLRP Volume 6, Issue 1, January 2025.

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