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E-ISSN: 2582-8010     Impact Factor: 9.56

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सूरदास का महाकाव्यः भाव.पक्ष की दृष्टि में

Author(s) सोमदत्त शर्मा
Country India
Abstract सूरदास की कविताएं अक्सर कृष्ण के बचपन की मासूमियत और आनंद को दर्शाती हैं, तथा भक्त और ईश्वर के बीच अंतरंगता की भावना को बढ़ावा देती हैं। उनके कार्यों का भावनात्मक परिदृश्य प्रेम, लालसा और भक्ति के विषयों से चिह्नित है, जो भक्ति आंदोलन के केंद्र में हैं। यद्यपि सूरदास का कृष्ण के बचपन पर ध्यान केन्द्रित करना महत्वपूर्ण है, फिर भी कुछ विद्वानों का तर्क है कि इस संकीर्ण चित्रण में कृष्ण के बाद के जीवन की जटिलताओं और दैवीय गुणों के व्यापक दायरे को नजरअंदाज किया जा सकता है, जिससे भक्ति साहित्य में उनके चरित्र की अधिक समग्र समझ की आवश्यकता का सुझाव मिलता है। सूरदास का भाव-पक्ष उनकी कविता के भावनात्मक और भक्ति पहलुओं को दर्शाता है, विशेष रूप से बाल रूप में कृष्ण की दिव्य छवि के संबंध में। मध्ययुगीन हिंदी साहित्य में एक प्रमुख व्यक्ति, सूरदास को कृष्ण के अपने अनूठे चित्रण के लिए जाना जाता है, जिसमें उनके युद्ध-कौशल के बजाय उनके चंचल और कोमल स्वभाव पर जोर दिया गया है। कृष्ण के बचपन के अनुभवों पर यह ध्यान सूरदास की भक्ति अभिव्यक्ति का मूल है, जो भक्ति परंपरा के साथ गहराई से प्रतिध्वनित होता है।
Keywords भावनात्मक परिदृश्य, भक्ति आंदोलन, समर्पण, निस्वार्थ प्रेम, तृष्णा, तत्त्वज्ञान आदि
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 1, January 2025
Published On 2025-01-20
Cite This सूरदास का महाकाव्यः भाव.पक्ष की दृष्टि में - सोमदत्त शर्मा - IJLRP Volume 6, Issue 1, January 2025.

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